Wednesday, April 23, 2008

 

The Life

जीणा
जीणा जोहड़ के म्हां नंगे बालक की ऊहद-सा
थण पकड़ कै धार लेते नाक मैं लागै दूध-सा
जेठ के महीने मैं ठण्डे पाणी की औक-सा
नई बोड़िया के हाथां तैं लीपे साफ़-सुथरे चौके-सा
टेशण के लोहे के बैंच पै सोणा, किसे फकीर का
तख़्त की जड़ मैं बैठ कै देखणा सांग रांझे-हीर का
परस की बुर्जी पै साबण तैं नहाणा किसे जनेती का
सुःख-चैन तैं धन का आणा बोई फसल पछेती का
या फेर छः भाईयाँ की बहाण का
थके-हारे का ताते पाणी तैं नहाण का
सजनी का मिलणा रोज़ का
चाहे किसे साधू की मौज़ का

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