Tuesday, September 1, 2009

 

न्यारे न्यारे स्वाद


न्यारे-न्यारे स्वाद जगत मैं ::
न्यारे-न्यारे स्वाद जगत मैं, टोहवैं रंक और राजा
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या
रेल के मैं सोण का
पाँच रुपये खोण का
दारू पी के रोण का स्वाद न्यारा सै
टीले तैं नीचे भाज्जण का
ब्याहली रात नै जागण का
कात्तक में जाड़ा लागण का स्वाद न्यारा सै
खड़ी शिखर दुफ्फारी मैं जै काली घटा छाज्या
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या

मन्त्री के गेल्याँ यारी का
कंगले नै मोटर लारी का
अर आधी छुट्टी सारी का स्वाद न्यारा सै
खेत में रोटी खाण का
जोहड़ के म्हां न्हाण का
याणे बालक नै खिलाण का स्वाद न्यारा सै
बाट हो दूर की, अर धूरर की सवारी पाज्या
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या

गर्मियों में आम का
फागण की शाम का
मीठे-मीठे जुकाम का स्वाद के कहूँ
जाड़े मैं रजाई का
छोह मैं समाई का
बूढ़े की सगाई का स्वाद के कहूँ
झड़ के म्हाँ जै थानेदार रिपट कै पड़ज्या
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या

मौके पै कही गई बात का
माँ नैं बालक की लात का
मींह मैं टपकती छात का स्वाद के कहूँ
खाट पै तैं पड़ण का
सूते-सूते डरण का
तड़कै-ए होका भरण का स्वाद के कहूँ
स्वाद-स्वाद में सूल्फे का ऐबी किलो लाड्डू खाज्या
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या

ठॉडे गेल्याँ अकड़ण का
भॉज़ कै रेल पकड़ण का
कुण्डी मैं सोटा रगड़ण का स्वाद तो ले कै देख
होके मैं डीकड़े तोड़ण का
हारे मैं खिचड़ी रोड़ण का
भजा के टैक्टर मोड़ण का स्वाद तो ले कै देख
टैक्टर पै होती ढूका हो, बनड़ा लाग झटका पड़ज्या
स्वाद का के बेरा भाईयो, कुणसी बात पै आज्या

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