Sunday, April 27, 2008

 

THE GLOBAL WARMING

जेठ का महीना हर साल गर्म होता जावे स
तपती धरती चीखती आसमान रोता जावे स
आस्मान रोता जावे स फेर म्हारे समझ न आवे
नये नये प्रयोग प्रकृति प नित नये घाव लगावे
राठी की लाठी की मार बुरी एक ही बात समझावेगी
इब बी अगर न सम्भलै तो दुनिया ही मिट जावेगी

Comments:
bilkul vastvikta likhi hai congratulation P B ARYA
 
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