Monday, April 14, 2008

 

महंगाई

दाल बन गी बैरन म्हारी आटा बना कसाई
चक्कर खा क पड गयी बाजार म म्हारी ताई
आलू बनगे आज बटेऊ टमाटर गन्ठे मारेँ मरोड़
महंगाई बनगी सबकी बुआ कड़ दी सबकी तोड़
राठी की लाठी पडी जनता प तो चुप कैसे रह जावांगे
आण दो इलेक्शन ईबके मिल क सबक सिखावांगे

Comments:
प्रयास अच्छा है, लगे रहो…।
 
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